मंत्री, गुरू, और वैद्य जो प्रिय बोलहिं भय आस ।
राज, धर्म, तन जीन करि होय बेग हि नास ।।
मंत्री (सलाहकार-परामर्श दाता), गुरू, और वैद्य (चिकित्सक) जब भयवश अर्थात आशंकित व आतंकित होकर प्रिय लगने वाला असत्य बोलने लगते हैं (चापलूसी करने लगते हैं) तो ऐसे राजा का राज्य, धर्म और शरीर तीनों ही तत्काल नष्ट हो जाते हैं
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