अनुज वधु, भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी ।
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधे कछु पाप न होई।।
छोटे भाई की पत्नी, बहिन, पुत्र वधु, पराई स्त्री ये चारों कन्या पुत्री के समान हैं, इन पर कुदृष्टि डालने वाले का वध करने से पाप नहीं लगता – किष्किन्धा काण्ड, रामचरित मानस, तुलसीदास
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