विनाश काले विपरीत बुद्धि ।
अर्थात जिस मनुष्य के विनाश का वक्त या पतन का वक्त आ जाता है, उसकी बुद्धि भ्रमित होकर उल्टे ही उल्टे सारे कार्य करने लगती है और वह उचित को अनुचित और अनुचित को उचित की भांति व्यवहृत करने लगता है – महाभारत
ताकों प्रभु दारूण दुख देंईं । ताकी मति पहलेईं हर लेंईं ।।
गोस्वामी तुलसीदास जी राम चरित मानस में लेख करते हैं कि प्रभु जिसको दारूण दुख देना चाहते हैं तो सबसे पहले वे उसकी बुद्धि का हरण कर लेते हैं जिससे वह सारे के सारे कार्य उल्टे ही उल्टे करने लगता है और अंतत: दारूण दुख पा कर पूर्णत: नष्ट हो जाता है । - तुलसीदास, रामचरित मानस
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