शनिवार, 10 मई 2008

भाग्‍य और लक्ष्‍मी किसके सेवक हैं

पुरूष सिंह जे उद्यमी, लक्ष्‍मी ताकि चेरि । अर्थात परिश्रमी मनुष्‍यों की लक्ष्‍मी दास बन कर सेवा करती है चाणक्‍य

Fortune Favours only brave. अँग्रेजी की कहावत

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