भोजन तीन प्रकार का होता है, प्रत्येक मनुष्य को अपनी रूचि व संस्कारों के अनुसार यह सतोगुणी, रजोगुणी व तमोगुणी भोजन प्रिय होता है, जैसा मनुष्य भोजन करता है उसी के अनुसार उसकी बुद्धि हो जाती है, बुद्धि के अनुसार ही उसमें वैसी ही चेतना व ज्ञान उत्पन्न हो जाता है । ज्ञान से उसके कर्म का निर्धारण होता है, और वह फिर जैसा कर्म करता है वैसा ही उसे फल प्राप्त होता है – भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता
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दतिया में निकली मां पीतांबरा की रथयात्...
2 वर्ष पहले
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