हरि व्यापक सर्वत्र समाना । प्रेम सों प्रकट होंहिं मैं जाना ।।
भगवान तो सभी जगह समान रूप से व्याप्त हैं, वे केवल प्रेम से ही कहीं भी प्रकट किये जा सकते हैं - गोस्वामी तुलसीदास, रामचरित मानस
मंदिर तो भगवान का कैदखाना है, गरीब की झोंपड़ी और भक्त का हृदय ही भगवान का घर अर्थात मंदिर है उनकी उपस्थिति तो जगत के कण कण में है – संकलित
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