सोमवार, 28 अप्रैल 2008

कलयुगी साधु सन्‍त कैसे और उनके क्‍या असर हैं

तपसी धनवन्‍त दरिद्र गृही । कलि कौतुक तात न जात कही ।।

कलि बारहिं बार दुकाल परे । बिन अन्‍न दुखी सब लोग मरे ।।

अर्थात गोस्‍वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लेख किया है कि कलयुग में तपस्‍वी और साधु सन्‍त तो धनवान होंगे (हेलीकॉप्‍टरों से यात्रा करेंगे, राजसी भोग विलास का सुख उपभोग कर आनन्‍द उठायेंगें ) और गृहस्‍थ मनुष्‍य बेचारे दरिद्र होंगे । कलयुग में बार बार भीषण अकाल दुकाल पड़ेंगे, बिना अन्‍न (अनाज) के सब लोग दुखी हो हो कर मरेंगें । कलयुग में ऐसी ऐसी चित्र विचित्र लीलायें होंगीं कि जिनका वर्णन करना बड़ा ही मुश्किल है । - तुलसीदास, रामचरित मानस (उत्‍तरकाण्‍ड) तप व साधना से साधन की प्राप्ति हो सकती है, किन्‍तु साधन से साधना व तप प्राप्‍त नहीं हो सकते बाबा बालकदास

  

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