उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये । पय: पानं भुजंगानां केवलं विष वर्धनम् ।।
मूर्ख व्यक्ति को उपदेश देने से उसका प्रकोप शान्त नहीं होता, जिस प्रकार सर्प को दूध पिलाने से उसका विष कम नहीं होता केवल उसका विष बढ़ता ही है – संस्कृत का प्रसिद्ध श्र्लोक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें