धीरज धरम मित्र और नारी, आपदकाल परखिये चारी ।।
धैर्य अर्थात धीरज, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा विपत्ति या आफत के समय करनी चाहिये – तुलसीदास, रामचरित मानस
रहिमन विपदा हू भली जो थोरे दिन होय । भलो बुरो सब आपुनो, जान परत सब कोय ।। रहीम जी कहते हैं कि विपत्ति यदि थोड़े समय की आये तो बहुत अच्छी होती है, इसमें अपने पराये और भले बुरे सबकी पहचान हो जाती है – रहीम
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