रविवार, 14 मार्च 2021
शुक्रवार, 8 जनवरी 2021
खेती , चिठ्ठी और सवारी पर घाघ भड्डरी
खेती , पाती , विनती और घोड़े की तंग ।
अपने ही हाथ संवारिये, चाहे लाख लोग हों संग ।।
खेती , पत्र व्यवहार ( पत्र लिखना और पत्र पढ़ना ) , प्रार्थना ( निवेदन आदि) , सवारी ( घोड़े, बाइक, कार , हवाई जहाज कुछ भी हो ) अपने ही हाथ से खुद ही चेक करके उसके बाद ही उसकी सवारी करना चाहिये , चाहे भले ही लाखों लोग आपने इसी काम के लिये रखे हों , मगर ये चीजें किसी अन्य से कतई नहीं करवाना चाहिये ।
शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020
कंजा भौंहा , कुुच गड़ा हिये बाल नहीं होय ।। इनसे बातें तब करो , जब हाथ में डंडा होय ।।
पुरानी देशी गांवों की घाघ भड्डरी की कहावत है - कंजा ( जिसकी आंखें कंजी हों ) , भौंहा ( जिसकी भौंहें न हों या बहुत पतली या कम हों ) , कुचगडा ( जिसकी छाती धंसकी हो और स्तन उभरे न हों ) ,हिये बाल नहीं ( जिसकी छाती पर बाल न हों ) होंय ।।
इनसे बातें तब करो , जब हाथ में डंडा होय ।।
इन लोगों से सदा सर्वदा सतर्क एवं सावधान रहना चाहिये , इनके चरित्र और आचरण अच्छे नहीं होते , ये हमेशा ही घटियाई ( धोखा करने वाले और स्वार्थ के लिये किसी भी स्तर तक गिर जाते हैं , इसलिये न इनके पास उठना बैठना चाहिये और न इन्हें अपने पास बिठाना चाहिये । जब भी ये बात करें तो हमेशा आपके हाथ में डंडा रहना चाहिये , इनकी किसी भी बात पर आपको उसका इस्तेमाल करना पड़ सकता है , ये चुगली अवश्य करते हैं और लगाई बुझाई इनकी बातों में हमेशा शामिल रहती है । ये दोगले प्रवृत्ति के होते हैं ।
गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान होता है , उसका खुद पर अमल करना मुश्किल काम होता है
शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020
आश्रित और मजबूर से ज्यादा दुखी कोई नहीं होता
गांवों की देशी कहावत है कि आश्रित और मजबूर से ज्यादा दुखी अन्य कोई भी जीव नहीं होता । इन्हें धोखा और इनकी मजबूरी का फायदा उठाने से बड़ा और कम गम या दुख नहीं मिलता ।
धोखा खाना और धोखा देना
गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020
अपने काम से काम रखना
!!जीवन का सत्य !! अपने काम से काम रखना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है! जय माता दी
बुधवार, 7 अक्तूबर 2020
सभी को समझे
हर इंसान अपनी जुबान के पीेछे छुपा हुआ है, अगर उसे समझना चाहते हो तो उसको बोलने दो! ॐ गणेशाय नमः
मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020
हमेशा सहयोग करें
जिंदगी में इतनी गलतियाॅं न करो कि पेंसिल से पहले रबर ही घिस जाये! और रबर को इतना मत घिसो कि जिंदगी का पेज ही फट जाये!!
जय जय बजरंग बली की
जो गर मुकाबिल तोप हो सामने ... अखबार निकालो
बड़ी पुरानी और प्रसिद्ध कहावत है , अंग्रेजी हुकूमत के दौर में शुरू हुई ये कहावत अब मुहावरा बन गई है , अंग्रेज चले गये मगर अपनी औॅलादें और नाती पोते भारत में छोड गये , सभी अंग्रेजी कानून जो अंग्रेजों ने बनाये और चलाये जिससे वे भारतवासियों को गुलाम बना कर रख सकें और उन पर हुकूमत कर सकेंगें , इन अंग्रेजी कानूनों के खिलाफ देश में स्वतंत्रता संग्राम हुआ , जिसे भारत की आजादी का आंदोलन कहा जाता है ।
इन कानूनों का विरोध करते हुये पंजाब केसरी के संस्थापक लाला लाजपत राय , बाल गंगाधर तिलक जैसे लोग शहीद हो गये , जवाहर लाल नेहरू , महात्मा गांधी आदि ने अंग्रेजों के कानूनों की प्रतियां जलाई और कानूनों का विरोध खुली मुखाफलत के साथ किया , मगर भारत को आजाद हुये 73 साल गुजर गये , 74 वां साल चल रहा है , मगर अंग्रेजों के कानून जस के तस चल रहे हैं । प्रश्न है कि फिर भारत आजाद हुआ ही कहां ....
किसी संविधान में या किसी कानून में कुछ संशोधन करने का मतलब है , फटी चादर में थिगड़े या चीथड़े लगाना , भारत के संविधान में 150 से अधिक संशोधन हो चुके हैं , मतलब साफ है , थेगड़े चीथड़े लगा संविधान , बदलना या बदला जाना मांग रहा है । अटल बिहारी बाजपेयी इस काम को करना चाह रहे थे , उन्होंने बाकायदा संविधान पुनर्गठन समिति गठित करना शुरू कर दी थी मगर भारत के स्वार्थी नेताओं को यह रास नहीं आया और इसे ठंडे बस्ते में फेंक दिया , तब से अब तक यह ठंडे बस्ते में और देश अंधे कुयें की राह पर है ।
केवल संविधान ही नहीं तमाम मुख्य कानूनों का यही आलम है , चाहे पुलिस एक्ट 1861 हो , आई पी सी यानि भारतीय दंड संहिता 1860 हो या प्रेस और बुक्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1867 हो .....
इसीलिये आज तक प्रासंगिक है ....... है अगर तोप मुकाबिल सामने तो ..... अखबार निकालो