बुधवार, 27 अगस्त 2008

वाणी से धोखा होता है, वाणी के धोखे न आयें

मधुरी मीठी बानी, दगाबाज की निशानी ।

मीठा और मधुर बोल कर लोग पीठ में छुरा घोंपते है, ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिये, ये लोग दगाबाज होते हैं घाघ भड्डरी

हल्‍दी जर्दी नहिं तजे, खटरस तजै न आम । शीलवान गुन ना तजै, ना औगुन तजै गुलाम ।।

हल्‍दी अपना पीला रंग नहीं छोड़ती, आम अपनी खटास नहीं छोड़ता, इसी प्रकार कुलीन और शीलवान लोग अपने गुण नहीं छोड़ते, और वर्णसंकर कुलहीन लोग अपने अवगुण नहीं छोड़ते ।। मुंह में राम, बगल में छुरी इस देश में बहुत संख्‍या ऐसों की है जो मुख से वाणी कुछ और निकालते हैं, और ब्गल में छुरी छिपा कर रखते हैं  - भारत की प्राचीन देशी देहाती कहावतें     

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