मनुष्य के पूर्व कर्मों से प्रारब्ध का निर्माण होता है और प्रारब्ध से भाग्य बनता है, मनुष्य के वर्तमान कर्म उसके भविष्य का निर्धारण करते हैं । अत: प्राप्ति जितनी सहज हो उसे सहेजना उससे कई गुना दुष्कर होता है । - संस्कृत की प्राचीन कहावत
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दतिया में निकली मां पीतांबरा की रथयात्...
2 वर्ष पहले
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