60. यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है – शेख़ सादी
सोमवार, 31 मार्च 2008
अवगुण भी कब गुण बन जाता है
शनिवार, 29 मार्च 2008
अपना कार्य स्वयं ही करो
खेती, पाती, बीनती, औ घोड़े की तंग । अपने हाथ संवारिये चाहे लाख लोग हो संग ।। खेती करना, पत्र लिखना और पढ़ना, तथा घोड़ा या जिस वाहन पर सवारी करनी हो उसकी जॉंच और तैयारी मनुष्य को स्वयं ही खुद करना चाहिये भले ही लाखों लोग साथ हों और अनेकों सेवक हों, वरना मनुष्य का नुकसान तय शुदा है । - घाघ भड्डरी की कहावत
शुक्रवार, 28 मार्च 2008
गुरुवार, 27 मार्च 2008
कुलीन और खानदानी मनुष्यों के क्या लक्षण होते हैं
'' कुलीन और खानदानी मनुष्यों का प्रथम लक्षण है कि नुकसान होते दिखने पर और हर समय तथा संकट के वक्त भी उनकी कथनी व करनी एक रहती है, तथा सत्य को स्वयं के और अपने राज्य को नष्ट होने या हानि होने पर भी नहीं छोड़ते, दूसरा लक्षण है कि वे शरणागत शत्रु को भी आश्रय देकर भयमुक्त करते है, तीसरा लक्षण है कि उनके भीतर भय कभी भूल कर भी प्रवेश नहीं कर सकता'' – भगवान श्री कृष्ण
मंगलवार, 25 मार्च 2008
भाग्य और प्रारब्ध में क्या फर्क है
मनुष्य के पूर्व कर्मों से प्रारब्ध का निर्माण होता है और प्रारब्ध से भाग्य बनता है, मनुष्य के वर्तमान कर्म उसके भविष्य का निर्धारण करते हैं । अत: प्राप्ति जितनी सहज हो उसे सहेजना उससे कई गुना दुष्कर होता है । - संस्कृत की प्राचीन कहावत
सोमवार, 24 मार्च 2008
दुष्ट व्यक्ति से कैसा व्यवहार हो
गुड़ घी से सींचा करो नीम ना मीठा होय । लोहे से लोहा कटे, जानि परे सब कोय ।। यानि शठ जाने शठ ही की बानीं , दुष्ट व्यक्ति को लाखों यत्न के बाद भी नहीं सुधारा जा सकता उसे तो दुष्टता से ही काबू किया जा सकता है
गुरुवार, 20 मार्च 2008
अहसानमंद और अहसान फरामोश में क्या फर्क है
''जो किसी से कुछ ले कर भूल जाते हैं, अपने ऊपर किये उपकार को मानते नहीं, अहसान को भुला देते हैं उल्हें कृतघ्नी कहा जाता है, और जो सदा इसे याद रख कर प्रति उपकार करने और अहसान चुकाने का प्रयास करते हैं उन्हें कृतज्ञ कहा जाता है''
बुधवार, 19 मार्च 2008
उपयोगी और बेकार ऊर्जा में क्या अंतर है
'' रेल के इंजन के पास खड़े होकर देखो, काम करने वाली भाप का स्वर कोई नहीं सुनता, केवल व्यर्थ जाने वाली भाप ही शोर मचाती है, जो ऊर्जा और शक्ति तुम्हारे भीतर उपयोग हो रही है वह गुप्त और अज्ञात रहती है, तुम जो शोर मचाते फिरते हो और उपद्रव करते हो यह बेकार जाने वाली बिना काम की ऊर्जा और शक्ति है'' –जेम्स एलन
सोमवार, 17 मार्च 2008
राजयोगी के लक्षण
''ऐसे लोगों के पास मत बैठो,ऐसे लोगों को पास न बिठाओ, जो तुम्हारे चित्त में उद्विग्नता और अशान्ति पैदा करने वाली बातें करते हैं'' –स्वामी विवेकानन्द
रविवार, 16 मार्च 2008
महान कार्य और महान लोगों के लक्षण
''हर अच्छे,श्रेष्ठ और महान कार्य में तीन चरण होते हैं, प्रथम उसका उपहास उड़ाया जाता है, दूसरा चरण उसे समाप्त या नष्ट करने की हद तक विरोध किया जाता है और तीसरा चरण है स्वीकृति और मान्यता, जो इन तीनों चरणों में बिना विचलित हुये अडिग रहता है वह श्रेष्ठ बन जाता है और उसका कार्य सर्व स्वीकृत होकर अनुकरणीय बन जाता है'' – स्वामी विवेकानन्द
शुक्रवार, 14 मार्च 2008
‘’लकीर के फकीर बनने से अच्छा है कि आत्महत्या कर ली जाये’’
''लकीर के फकीर बनने से अच्छा है कि आत्महत्या कर ली जाये''
लीक लीक गाड़ी चले, लीक ही चलें कपूत ।
लीक छोड़ तीनों चलें शायर, सिंह, सपूत ।।
गुरुवार, 13 मार्च 2008
सफलता या असफलता किसको
''गिरते हैं शेरे सवार ही मैदाने जंग में, वे क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें'' प्रयास करने वाले को ही ठोकर लग सकती है या संभवत: सफलता या असफलता मिल सकती है, जो प्रयास ही नहीं करते उन्हें न सफलता मिल सकती है और न असफलता
बुधवार, 12 मार्च 2008
उपयोगी महत्वपूर्ण और मूर्ख में क्या अन्तर है
यदि उपयोगी और महत्वपूर्ण बन कर विश्व में सम्मानित रहना है तो सबके काम के बनो और सदा सक्रिय रहो
मूर्ख व्यक्ति दूसरे को मूर्ख बनाने की चेष्टा करके आसानी से अपनी मूर्खता सिद्ध कर देते हैं
मंगलवार, 11 मार्च 2008
सच्ची शिव भक्ति क्या है
''जो विषपान कर सकता है,चाहे विष पराजय का हो, चाहे अपमान का, वही शंकर का भक्त होने योग्य है, अपमान और पराजय से विचलित होने वाले लोग शिव भक्त होने योग्य ही नहीं, ऐसे लोगों की शिव पूजा केवल पाखण्ड है''
शुक्रवार, 7 मार्च 2008
समय की ताकत
''जो समय को नष्ट करता है, समय भी उसे नष्ट कर देता है''
''समय का हनन करने वाले व्यक्ति का चित्त सदा उद्विग्न रहता है, और वह असहाय तथा भ्रमित होकर यूं ही भटकता रहता है''
'' प्रति पल का उपयोग करने वाले कभी भी पराजित नहीं हो सकते, समय का हर क्षण का उपयोग मनुष्य को विलक्षण और अदभुत बना देता है''
''पड़े पड़े तो अच्छे से अच्छे फौलाद में भी जंग लग जाता है, निष्क्रिय हो जाने से,सारी दैवीय शक्तियां स्वत: मनुष्य का साथ छोड़ देतीं हैं''
'' यदि उपयोगी और महत्वपूर्ण बन कर विश्व में सम्मानित रहना है तो सबके काम के बनो और सदा सक्रिय रहो''