सोमवार, 24 मार्च 2008

दुष्‍ट व्‍यक्ति से कैसा व्‍यवहार हो

गुड़ घी से सींचा करो नीम ना मीठा होय । लोहे से लोहा कटे, जानि परे सब कोय ।। यानि शठ जाने शठ ही की बानीं , दुष्‍ट व्‍यक्ति को लाखों यत्‍न के बाद भी नहीं सुधारा जा सकता उसे तो दुष्‍टता से ही काबू किया जा सकता है

 

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