यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त दान है यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह भी श्रम दान है यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लें कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए…
jai shri krishan
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यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त दान है यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह भी श्रम दान है यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लें कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए…
jai shri krishan
दुनिया उन्हीं की खैरियत पूछती है जो पहले से ही खुश हों,
तकलीफ में होते हैं उनके तो नंबर तक खो जाते है।
jai jai bajrangwali
२ बातें मानसिक दुर्बलता प्रकट करती है एक बोलने के
अवसर पर चुप रहना दूसरा चुप रहने के अवसर पर बोलना!!
कभी कभी गुस्सा मुस्कुराहट
से ज्यादा खास होता है
क्यूंकि मुस्कुराहट तो सबके लिए
होती है....
मगर गुस्सा सिर्फ उसके लिए
होता है, जिन्हे हम कभी खोना
नहीं चाहते...
क्या भरोसा कांच का घट है , किसी दिन फूट जाये
पानी का इक बुलबुला है , किसी वक्त फूट जाये
इक मामूली कहानी है , अधूरी छूट जाये
मगरूरियत इतनी किसी दिन यूं ही छूट जाये
छोटी छोटी खुशियां ही तो जीने का सहारा बनती है ।। ख्वाहिशों का क्या वो तो पल-पल बदलती है।।
शब्दों की ताकत को कम मत आंकिये… साहेब क्योकि छोटा सा “हाँ” और छोटा सा “ना” पूरी जिंदगी बदल देता है।
किसी के घर जाओ तो अपनी “आंखो” को इतना काबू में रखो कि उसके “सत्कार” के अलावा उसकी “कमियाँ” न दिखे और जब उसके घर से निकलो तो अपनी “ज़ुबान” काबू में रखो ताकि उसके घर की “इज़्ज़त” और “राज़” दोनो सलामत रहे।
श्रीमद भगवद गीता का श्लोक
नैनं छिंदंति शस्त्राणि , नैनं दह्यति पावक:
न चैनं क्लैदन्त्यापि न शोष्यति मारूत:
आत्मा को ( ऊर्जा को ) न कोई नष्ट कर सकता है , न उत्पन्न ( पैदा ) कर सकता है , न शस्त्र इसे काट सकता है, न आग इसे जला सकती है , न जल इसे भिगा सकता है और न वायु इसे सुखा सकता है । आत्मा उसी तरह पुराने जजर्र शरीर को त्याग कर नवीन देह धारण करता है जिस प्रकार मनुष्य वस्त्र बदलता है , अत: आत्मा केवल शरीर बदलता है , आइंसटीन के सूत्र के अनुसार ऊर्जा का केवल रूपांतरण मात्र किया जा सकता है , ऊर्जा को न तो नष्ट किया जा सकता है , न पैदा किया जा सकता है ।
आइंसटीन के इस सूत्र के आधार पर ही परमाणु ऊर्जा का सारा संसार टिका हुआ है E=MC(Square) इस एक सूत्र पर परमाणु बम से लेकर परमाणु ऊर्जा के विशाल संयंत्र टिके और बने हैं ।
भगवान श्रीकृष्ण ने 5120 साल पहले ही यही सूत्र अर्जुन को कुरूक्षेत्र के मैदान में सुनाया था ।
उल्लेखनीय है कि आइंसटीन ईश्वर के और भगवान के अंधभक्त थे , और विशेष रूप से श्री कृष्ण के , आइंसटीन ने स्वयं अपनी आत्मकथा ( जीवनी या आटोबायो ग्राफी में यह उल्लेख किया है , और अपने हर आविष्कार के बाद यही कहा कि वाकई भगवान है जो ऊपर बैठा इस कुदरत को संचालित कर रहा है । भगवान श्री कृष्ण ने आत्मा को अजर अमर और अनश्वर सनातन कहा तो आंइंसटीन ने यही शब्द ऊर्जा के लिये कहे । आइंसटीन का ऊर्जा संरक्षण का मूल सिद्धांत निम्नत: अंग्रेजी में है ।
Energy can not produced nor be destroy , it can only transforms , one form to another form .
Presented and Invented By : Narendra Singh Tomar "Anand" Advocate.
शोध अनुसंधान एवं प्रस्तुति : नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनंद'' एडवोकेट
पड़े पड़े तो अच्छे अच्छे से अच्छे फौलाद में जंग लग जाता है , अत: तुरंत त्वरित होकर तत्काल सक्रिय होइये - जेम्स एलन