धीरज धर्म मित्र और नारी । आपद काल परखीये चारी ।।
धीरज यानि धैर्य, धर्म यानि धर्म के चारों चरण एवं सिद्धांतों की, मित्र की एवं नारी की परीक्षा सदैव ही आपत्ति व संकट के समय होती है , आपत्ति व संकट के समय इनमें से जो भी आपका साथ छोड़ दे , निश्चित ही वह कभी भी आपका नहीं था , नहीं है और न कभी होगा - श्री राम चरित मानस
धीरज यानि धैर्य, धर्म यानि धर्म के चारों चरण एवं सिद्धांतों की, मित्र की एवं नारी की परीक्षा सदैव ही आपत्ति व संकट के समय होती है , आपत्ति व संकट के समय इनमें से जो भी आपका साथ छोड़ दे , निश्चित ही वह कभी भी आपका नहीं था , नहीं है और न कभी होगा - श्री राम चरित मानस
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