गुरुवार, 9 जुलाई 2009

मंत्री अथवा गुरू किसे बनायें

जिसमें सत्‍य को सत्‍य एवं असत्‍य को असत्‍य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्‍यहित में विश्‍वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्‍यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्‍त करना चाहिये - चाणक्‍य नीति

1 टिप्पणी:

hybridrocks ने कहा…

ye sukti bilkul sahi hai....
wah chanakya wah!!!!!
tu toh bada tej banda hai re!!!!
thoda dimaag mujhe bhi de na yaar!!!!
iit nika lenge yaar!!!!