गुरुवार, 9 जुलाई 2009

मंत्री अथवा गुरू किसे बनायें

जिसमें सत्‍य को सत्‍य एवं असत्‍य को असत्‍य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्‍यहित में विश्‍वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्‍यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्‍त करना चाहिये - चाणक्‍य नीति

श्रेष्‍ठत्‍व प्राप्‍त करने के उपाय

अच्‍छा वक्‍ता बनना है तो अच्‍छे श्रोता बनो, अच्‍छा लेखक बनना है तो अच्‍छे पाठक बनो, अच्‍छा गुरू बनना है तो अच्‍छे शिष्‍य बनो, अच्‍छा राजा बनना है तो अच्‍छा नागरिक बनो अच्‍छा स्‍वामी बनना है तो अच्‍छे नौकर बनो - संकलित