गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

बेवकूफों और अन्‍धों के लिये शास्‍त्र और दर्पण क्‍या कर सकते हैं

यस्‍य नास्ति स्‍वयं प्रज्ञा शास्‍त्रं तस्‍य करांति किं

लोचनाभ्‍यां विहीनस्‍य दर्पण: किं करिष्यिति

जिस मनुष्‍य में स्‍वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिये शास्‍त्र क्‍या कर सकता है । ऑंखों से हीन अर्थात अन्‍धे मनुष्‍य के लिये दर्पण क्‍या कर सकता है ।