शुक्रवार, 6 जून 2008

राम भरोसे जो रहे पर्वत पे हू हरियाय

तुलसी विरवा बाग के सींचत में मुरझाय ।

राम भरोसे जे रहें, पर्वत पे हू हरियांय ।।

तुलसीदास जी कहते हैं कि कुछ ऐसे पौधे होते हैं जो बगीचे में रहकर नित्‍य पानी की सिंचाई होने के बाद भी मुरझा जाते हैं, जबकि राम जी के भरोसे रहने वाले पर्वतों पर उगने वाले पौधे जिनकी देख रेख और सिंचाई करने वाला कोई नहीं है वे हमेशा हरे भरे बने रहते हैं ।  

 

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