मंगलवार, 8 अप्रैल 2008

विश्‍वास, जुल्‍म, डर और भय के भेद

चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं चार्ल्स द गाल
जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है- महात्‍मा गांधी
डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है एमर्सन
कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.- चाणक्‍य

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